पेरिस चार्टर 2025: AI भविष्य की दिशा में कदम
पेरिस चार्टर 2025 में दस देशों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य को गढ़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जानें कि यह चार्टर AI के विकास और वैश्विक सहयोग को कैसे प्रभावित करेगा।
Dharmendra Kumar


पेरिस चार्टर 2025: दस देशों ने अपनाया, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य को गढ़ने की दिशा में एक कदम
विश्व ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के जिम्मेदार विकास और उपयोग की दिशा में। दस देशों ने मिलकर पेरिस चार्टर 2025 को अपनाया है, जो एआई के विकास और उपयोग के लिए एक नैतिक ढाँचा प्रदान करता है। यह चार्टर एआई के क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
चार्टर के मुख्य बिंदुओं में शामिल हैं: मानव अधिकारों का संरक्षण, भेदभाव से बचाव, पर्यावरणीय स्थिरता, और एआई प्रणालियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। इसके अलावा, यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और एआई के विकास में नैतिक चिंताओं को शामिल करने पर ज़ोर देता है।
यह एक महत्वपूर्ण पहल है क्योंकि यह एआई के तेज़ी से विकास के बीच एक नैतिक दिशानिर्देश प्रदान करता है। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कैसे इन सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से लागू किया जाता है और विभिन्न देशों द्वारा अपनाया जाता है। यह एक ऐसा प्रयास है जो विश्वव्यापी सहयोग और पारदर्शिता के माध्यम से एआई के भविष्य को सुरक्षित और नैतिक बना सकता है।
ओपनएआई ने पहला कस्टम एआई चिप का विकास शुरू किया
टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और बड़ी खबर सामने आई है। ओपनएआई, जो चैटजीपीटी जैसे लोकप्रिय एआई मॉडल के पीछे है, ने अपने पहले कस्टम एआई चिप के विकास की शुरुआत की घोषणा की है। यह कदम एआई कंप्यूटिंग की क्षमता को बढ़ाने और एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने की लागत को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वर्तमान में, एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए विशाल कंप्यूटिंग संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो काफी महंगा होता है। ओपनएआई का अपना कस्टम चिप विकसित करने का लक्ष्य इन लागतों को कम करना और एआई मॉडल के प्रदर्शन को बेहतर बनाना है। इससे एआई तकनीक की पहुँच भी बढ़ सकती है और विभिन्न क्षेत्रों में इसके अनुप्रयोगों को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, इस परियोजना के परिणामों का इंतजार करना होगा और देखना होगा कि यह कितना प्रभावी साबित होता है। यह एक ऐसा कदम है जो एआई के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मोदी ने AI शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की; भारत का लक्ष्य AI पर 44 हजार करोड़ रुपये खर्च करना, 2030 तक 33.8 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक मूल्य प्राप्त करना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की। इस शिखर सम्मेलन में भारत की AI के क्षेत्र में अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। भारत का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में AI पर भारी निवेश करना और इस तकनीक से आर्थिक विकास को गति देना है।
सरकार ने घोषणा की है कि वह अगले कुछ वर्षों में AI पर लगभग 44,000 करोड़ रुपये (लगभग 53 अरब अमेरिकी डॉलर) खर्च करने की योजना बना रही है। यह निवेश अनुसंधान और विकास, बुनियादी ढाँचे के विकास, और AI कौशल विकास कार्यक्रमों में किया जाएगा। इस निवेश का उद्देश्य भारत को AI के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।
भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक AI से 33.8 लाख करोड़ रुपये (लगभग 4.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) का आर्थिक मूल्य प्राप्त करना है। यह आर्थिक मूल्य विभिन्न क्षेत्रों में AI के अनुप्रयोगों से प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, और विनिर्माण शामिल हैं। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार उद्योगों के साथ साझेदारी करेगी, स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करेगी और AI प्रतिभा को बढ़ावा देगी।
यह पहल भारत के आर्थिक विकास में AI की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। सरकार का मानना है कि AI न केवल आर्थिक विकास को गति देगा बल्कि विभिन्न सामाजिक समस्याओं के समाधान में भी मदद करेगा। हालाँकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश, कुशल कार्यबल और अनुकूल नीतिगत माहौल आवश्यक होगा।


मोदी के फ्रांस दौरे में AI सहयोग पर ज़ोर: नैतिक AI उपयोग के लिए नीति निर्माण में बढ़ा सहयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया फ्रांस यात्रा ने भारत और फ्रांस के बीच संबंधों को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। भारत और फ्रांस ने AI सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे नैतिक AI उपयोग के लिए नीति निर्माण में सहयोग बढ़ेगा।
इस समझौते से दोनों देशों के बीच AI अनुसंधान, विकास और नवाचार में सहयोग बढ़ेगा। यह सहयोग विभिन्न क्षेत्रों को कवर करेगा, जैसे:
AI अनुसंधान और विकास: दोनों देशों के शोधकर्ता और संस्थान मिलकर AI तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर शोध करेंगे।
AI नीति निर्माण: भारत और फ्रांस नैतिक AI उपयोग के लिए संयुक्त नीतियाँ और नियम विकसित करने पर काम करेंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि AI का उपयोग समाज के लिए फायदेमंद तरीके से किया जाए।
AI शिक्षा और प्रशिक्षण: दोनों देश AI शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग करेंगे ताकि AI क्षेत्र में कुशल पेशेवरों को तैयार किया जा सके।
AI अनुप्रयोग: दोनों देश AI के विभिन्न अनुप्रयोगों जैसे स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शिक्षा में सहयोग करेंगे।
यह सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी AI के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देगा। नैतिक AI उपयोग सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत ढांचे का विकास महत्वपूर्ण है ताकि AI का उपयोग समाज के लिए फायदेमंद तरीके से किया जा सके और किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके।
इस समझौते से भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी, और यह दोनों देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगा। AI एक तेज़ी से विकसित हो रहा क्षेत्र है, और इस सहयोग से दोनों देश इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व करने की स्थिति में होंगे। यह समझौता दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल AI तकनीक के विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि AI के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग को भी सुनिश्चित करेगा।
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